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cauliflower cultivation

इस तरीके से रंगीन फूल गोभी की खेती कर बेहतरीन आय कर सकते हैं

इस तरीके से रंगीन फूल गोभी की खेती कर बेहतरीन आय कर सकते हैं

रंगीन फूलगोभियां दिखने में बेहद ही सुंदर और आकर्षक होती हैं। वहीं, इसके साथ-साथ यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी काफी अच्छी होती हैं। आज के इस वैज्ञानिक युग में हर चीजें आसान नजर आती हैं। विज्ञान ने सब कुछ करके रख दिया है। यहां पर कोई भी असंभव चीज भी संभव नजर आती है। अब चाहे वह खेती-किसानी से संबंधित चीज ही क्यों ना हों। बाजार के अंदर विभिन्न तरह की रंग बिरंगी फूल गोभियां आ गई हैं। दरअसल, आज हम आपको इस रंग बिरंगी फूल गोभियों की खेती के विषय में जानकारी देने जा रहे हैं। ताकि आप अपने खेत में सफेद फूल गोभी के साथ-साथ रंगीन फूल गोभी का भी उत्पादन कर सकें। बाजार में इन गोभियों की मांग दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है। ऐसी स्थिति में आप इनको बाजार में बेचकर काफी शानदार मुनाफा कमा सकते हैं। रंगीन फूलगोभियां किसानों को काफी मुनाफा प्रदान करती हैं।

रंगीन फूल गोभी की खेती

भारत के कृषि वैज्ञानिकों ने रंगीन फूल गोभी की नवीन किस्म की खोज की है। यह गोभियां हरी, नीली, पीली एवं नारंगी रंग की होती हैं। इन विभिन्न तरह के रंगों की गोभी का सेवन करने से लोगों को बीमारियों से छुटकारा भी मिल रहा है। इसकी खेती किसी भी तरह की मिट्टी में आसानी से की जा सकती है। आपको इसके लिए पर्याप्त सिंचाई की आवश्यकता होती है। भारतीय बाजार में इन गोभियों की मांग बढ़ती जा रही है। इससे किसान भी इसका उत्पादन कर काफी मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।

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रंगीन फूलगोभी की बिजाई

भारत में रंगीन फूलगोभी की अत्यधिक पैदावार झारखंड, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में होती है। इसकी खेती करने का सबसे उपयुक्त समय शर्दियों का होता है। आप इसकी नर्सरी सितंबर एवं अक्टूबर में लगा सकते हैं। साथ ही, खेत की तैयारी के उपरांत इसे 20 से 30 दिन पश्चात खेतों में लगा सकते हैं। इसकी शानदार पैदावार के लिए 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान उपयुक्त माना गया है। वहीं, खेती की मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.5 के बीच रहना चाहिए। किसानों को

रंगीन फूलगोभी की खेती से कितनी आय अर्जित होती है

यह रंग-बिरंगी गोभियां खेतों में बिजाई के पश्चात 100 से 110 दिन में पककर तैयार हो जाती है। किसान भाई रंगीन फूल गोभी का एक एकड़ में उत्पादन कर 400 से 500 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। बाजार में लोग इस रंग को देखते ही बड़े जोर शोर से इसकी खरीदारी कर रहे हैं। साधारण गोभी की बाजार का बाजार में भाव 20 से 25 रुपये होता है। तो उधर इन रंग बिरंगी गोभियों की कीमत 40 से 45 रुपये तक की होती है। ऐसी स्थिति में किसान भाई इसकी खेती कर काफी शानदार मुनाफा कमा सकते हैं।
ठंडी और आर्द्र जलवायु में रंगीन फूल गोभी की उपज कर कमायें अच्छा मुनाफा, जानें उत्पादन की पूरी प्रक्रिया

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छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग व्यक्ति के जीवन में रंगो का महत्वपूर्ण स्थान होता है। विभिन्न प्रकार के रंग लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं।लेकिन क्या आपको पता है कि अब ऐसी ही रंगीन प्रकार की फूल गोभी (phool gobhee; cauliflower) का उत्पादन कर, सेहत को सुधारने के अलावा आमदनी को बढ़ाने में भी किया जा सकता है। फूलगोभी के उत्पादन में उत्तरी भारत के राज्य शीर्ष पर हैं, लेकिन वर्तमान में बेहतर वैज्ञानिक तकनीकों की मदद से दक्षिण भारत के तटीय क्षेत्रों में भी फूलगोभी का उत्पादन किया जा रहा है।

फूलगोभी में मिलने वाले पोषक तत्व :

स्वास्थ्य के लिए गुणकारी फूलगोभी में पोटेशियम और एंटीऑक्सीडेंट तथा विटामिन के अलावा कई जरूरी प्रकार के मिनरल भी पाए जाते हैं। शरीर में बढ़े रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के नियंत्रण में भी फूल गोभी का महत्वपूर्ण योगदान है। किसी भी प्रकार की रंगीन फूल गोभी के उत्पादन के लिए ठंडी और आर्द्र जलवायु अनिवार्य होती है। उत्तरी भारत के राज्यों में सितंबर महीने के आखिरी सप्ताह और अक्टूबर के शुरुआती दिनों से लेकर नवम्बर के पहले सप्ताह में 20 से 25 डिग्री का तापमान रहता है, वहीं दक्षिण भारत के राज्यों में यह तापमान वर्ष भर रहता है, इसलिए वहां पर उत्पादन किसी भी समय किया जा सकता है।


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रंगीन फूलगोभी की लोकप्रिय और प्रमुख किस्में :

वर्तमान में पीले रंग और बैंगनी रंग की फूलगोभी बाजार में काफी लोकप्रिय है और किसान भाई भी इन्हीं दो किस्मों के उत्पादन पर खासा ध्यान दे रहे हैं। [caption id="attachment_11024" align="alignnone" width="357"]पीली फूल गोभी (Yellow Cauliflower) पीली फूल गोभी[/caption] [caption id="attachment_11023" align="alignnone" width="357"]बैंगनी फूल गोभी (Purple Cauliflower) बैंगनी फूल गोभी[/caption] पीले रंग वाली फूलगोभी को केरोटिना (Karotina) और बैंगनी रंग की संकर किस्म को बेलिटीना (Belitina) नाम से जाना जाता है।

कैसे निर्धारित करें रंगीन फूलगोभी के बीज की मात्रा और रोपण का श्रेष्ठ तरीका ?

सितंबर और अक्टूबर महीने में उगाई जाने वाली रंगीन फूलगोभी के बेहतर उत्पादन के लिए पहले नर्सरी तैयार करनी चाहिए। एक हेक्टेयर क्षेत्र के खेत में नर्सरी तैयार करने में लगभग 250 से 300 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

कैसे करें नर्सरी में तैयार हुई पौध का रोपण ?

तैयार हुई पौध को 5 से 6 सप्ताह तक बड़ी हो जाने के बाद उन्हें खेत में कम से कम 60 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाना चाहिए। रंगीन फूलगोभी की बुवाई के बाद में सीमित पानी से सिंचाई की आवश्यकता होती है, अधिक पानी देने पर पौधे की वृद्धि कम होने की संभावना होती है।

कैसे करें खाद और उर्वरक का बेहतर प्रबंधन ?

जैविक खाद का इस्तेमाल किसी भी फसल के बेहतर उत्पादन के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है, इसीलिए गोबर की खाद इस्तेमाल की जा सकती है।सीमित मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग उत्पादकता को बढ़ाने में सहायता प्रदान कर सकता है। समय रहते मृदा की जांच करवाकर पोषक तत्वों की जानकारी प्राप्त करने से उर्वरकों में होने वाले आर्थिक नुकसान को कम किया जा सकता है। यदि मृदा की जांच नहीं करवाई है तो प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में 120 किलोग्राम नाइट्रोजन और 60 किलोग्राम फास्फोरस के अलावा 30 किलोग्राम पोटाश का इस्तेमाल किया जा सकता है। गोबर की खाद को पौध की बुवाई से पहले ही जमीन में मिलाकर अच्छी तरह सुखा देना चाहिए। निरन्तर समय पर मिट्टी में निराई-गुड़ाई कर अमोनियम और बोरोन जैसे रासायनिक खाद का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।


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कैसे करें खरपतवार का सफलतापूर्वक नियंत्रण ?

एक बार पौध का सफलतापूर्वक रोपण हो जाने के बाद निरंतर समय पर निराई-गुड़ाई कर खरपतवार को खुरपी मदद से हटाया जाना चाहिए। खरपतवार को हटाने के बाद उस स्थान पर हल्की मिट्टी चढ़ा देनी चाहिए, जिससे दुबारा खरपतवार के प्रसार को रोकने में मदद मिल सके।

रंगीन फूलगोभी में होने वाले प्रमुख रोग एवं उनका इलाज :

कई दूसरे प्रकार के फलों और सब्जियों की तरह ही रंगीन फूलगोभी भी रोगों से ग्रसित हो सकती है, कुछ रोग और उनका इलाज निम्न प्रकार है :-
  • सरसों की मक्खी :

यह एक प्रकार कीट होते हैं, जो पौधे के बड़े होने के समय फूल गोभी के पत्तों में अंडे देते हैं और बाद में पत्तियों को खाकर सब्जी की उत्पादकता को कम करते हैं।

इस रोग के इलाज के लिए बेसिलस थुरिंगिएनसिस (Bacillus thuringiensis) के घोल का छिड़काव करना चाहिए।

इसके अलावा बाजार में उपलब्ध फेरोमोन ट्रैप (pheromone trap) का इस्तेमाल कर बड़े कीटों को पकड़ा जाना चाहिए।

यह रोग छोटे हल्के रंग के कीटों के द्वारा फैलाया जाता है। यह छोटे कीट, पौधे की पत्तियों और कोमल भागों का रस को निकाल कर अपने भोजन के रूप में इस्तेमाल कर लेते हैं, जिसकी वजह से गोभी के फूल का विकास अच्छे से नहीं हो पाता है।

[caption id="attachment_11030" align="alignnone" width="800"]एफिड रोग (cauliflower aphid) एफिड रोग[/caption]

इस रोग के निदान के लिए डाईमेथोएट (Dimethoate) नामक रासायनिक उर्वरक का छिड़काव करना चाहिए।

  • काला विगलन रोग :

फूल गोभी और पत्ता गोभी प्रकार की सब्जियों में यह एक प्रमुख रोग होता है, जो कि एक जीवाणु के द्वारा फैलाया जाता है। इस रोग की वजह से पौधे की पत्तियों में हल्के पीले रंग के धब्बे होने लगते हैं और जड़ का अंदरूनी हिस्सा काला दिखाई देता है। सही समय पर इस रोग का इलाज नहीं दिया जाए तो इससे तना कमजोर होकर टूट जाता है और पूरे पौधे का ही नुकसान हो जाता है।

इस रोग के इलाज के लिए कॉपर ऑक्सिक्लोराइड (copper oxychloride) और स्ट्रैप्टो-साइक्लीन (Streptocycline)  का पानी के साथ मिलाकर एक घोल तैयार किया जाना चाहिए, जिसका समय-समय पर फसल पर छिड़काव करना चाहिए।

यदि इसके बावजूद भी इस रोग का प्रसार नहीं रुकता है तो, रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर इकट्ठा करके उन्हें जलाकर नष्ट कर देना चाहिए।

इसके अलावा रंगीन फूलगोभी में आर्द्रगलन और डायमंड बैकमॉथ (Diamondback Moth) जैसे रोग भी होते हैं, इन रोगों का इलाज भी बेहतर बीज उपचार और वैज्ञानिक विधि की मदद से आसानी से किया जा सकता है। आशा करते हैं Merikheti.com के द्वारा हमारे किसान भाइयों को हाल ही में बाजार में लोकप्रिय हुई नई फसल 'रंगीन फूलगोभी' के उत्पादन के बारे में संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी और भविष्य में आप भी बेहतर लागत-उत्पादन अनुपात को अपनाकर अच्छी फसल ऊगा पाएंगे और समुचित विकास की राह पर चल रही भारतीय कृषि को सुद्रढ़ बनाने में अपना योगदान देने के अलावा स्वंय की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत बना पाएंगे।